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केवल वह जो परमेश्वर के कार्य को अनुभव करता है वही परमेवर में सच में विश्वास करता है

यद्यपि बहुत से लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, किंतु बहुत कम लोग समझते हैं कि परमेश्वर पर विश्वास करने का अर्थ क्या है, और परमेश्वर के मन के अनुरूप बनने के लिये उन्हें क्या करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि यद्यपि लोग “परमेश्वर” शब्द और “परमेश्वर का कार्य” जैसे वाक्यांश से परिचित हैं, किंतु […]

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परमेश्वर के वचन के द्वारा सब कुछ प्राप्त हो जाता है (भाग दो)

परमेश्वर द्वारा इस युग में बोले गये वचन, व्यवस्था के युग के दौरान बोले गए वचनों से भिन्न हैं, और इसलिए, वे अनुग्रह के युग के दौरान बोले गये वचनों से भी भिन्न हैं। अनुग्रह के युग में, परमेश्वर ने वचन का कार्य नहीं किया, किन्तु समस्त मानवजाति को छुटकारा दिलाने के लिए केवल सलीब […]

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परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर I (भाग तीन)

इसके आगे, हम नूह की कहानी की चर्चा करेंगे और यह किस प्रकार परमेश्वर के कार्य, परमेश्वर के स्वभाव और स्वयं परमेश्वर के विषय से सम्बन्धित है। पवित्र शास्त्रों के इस भाग में तुम लोग परमेश्वर को नूह के साथ क्या करते हुए देखते हो? कदाचित् यहाँ बैठा हुआ प्रत्येक जन पवित्र शास्त्र को पढ़ने […]

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क्या परमेश्वर का कार्य इतना सरल है, जितना मनुष्य कल्पना करता है?

परमेश्वर पर विश्वास करने वाले व्यक्ति के रूप में, तुम को यह समझना चाहिए कि,आज, इन अंतिम दिनों में परमेश्वर का कार्य और तुम में परमेश्वर की योजना के सारे कार्य को पाने में, तुमने परमेश्वर की ओर से उत्कर्ष और उद्धार को वास्तव में पा लिया है। समस्त ब्रम्हांड में परमेश्वर के सारे कार्य […]

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क्या त्रित्व का अस्तित्व है?(भाग एक)

यीशु के देहधारी होने के सत्य के विकसित होने के बाद ही मनुष्य इस बात को महसूस कर पाया: यह न केवल स्वर्ग का परमेश्वर है, बल्कि यह पुत्र भी है, और यहां तक कि वह आत्मा भी है। यह पारम्परिक धारणा है जिसे मनुष्य धारण किए हुए है, कि एक ऐसा परमेश्वर है जो […]